इंसान आकिर हैं क्या
चाहत का प्यासा
जैसे कोई बच्चा
की चाहत हैं कोई खिलौना
जिद पर उतर आता हैं
आकिर पा लेता हैं
कुछ पल खेल लेता हैं
खुश रह लेता हैं वो हर पल
जब टूट जाता हैं
तो फिर नया खिलौना की चाहत
बना लेता हैं
फुर बचा बड़ा हो जाता हैं
अब खिलौना नाही
दिल को चाहत बना लेता हैं
जिद पर उतर आता हैं
आकिर पा ही लेता हैं
कुछ पल खेलता हैं
खुश रह लेता हैं वह पल
पर जब मान से उतार जाये
दिल खो तोड़ देता हैं
फिर अपने आप को अकेला महसूस पता हैं
तो नए दिल की चाहत बना लेता हैं
पर लोग यह भूल जाते हैं
खिलोने टूटने पर नवा मिल जावेगा
पर जब दिल टुटा जाता हैं तो ....
ससे रुक सी जाती हैं
दिल धड़क न बंद हो जाता हैं
ज़िन्दगी थाम सी जाती हैं
चाहत का प्यासा
जैसे कोई बच्चा
की चाहत हैं कोई खिलौना
जिद पर उतर आता हैं
आकिर पा लेता हैं
कुछ पल खेल लेता हैं
खुश रह लेता हैं वो हर पल
जब टूट जाता हैं
तो फिर नया खिलौना की चाहत
बना लेता हैं
फुर बचा बड़ा हो जाता हैं
अब खिलौना नाही
दिल को चाहत बना लेता हैं
जिद पर उतर आता हैं
आकिर पा ही लेता हैं
कुछ पल खेलता हैं
खुश रह लेता हैं वह पल
पर जब मान से उतार जाये
दिल खो तोड़ देता हैं
फिर अपने आप को अकेला महसूस पता हैं
तो नए दिल की चाहत बना लेता हैं
पर लोग यह भूल जाते हैं
खिलोने टूटने पर नवा मिल जावेगा
पर जब दिल टुटा जाता हैं तो ....
ससे रुक सी जाती हैं
दिल धड़क न बंद हो जाता हैं
ज़िन्दगी थाम सी जाती हैं